tag:blogger.com,1999:blog-44028180967863854152024-03-20T03:26:02.861+05:30Devendranath Maharaj MadhiDevendranath Maharaj, Madhi, Tal. Pathardi, AhmednagarAbhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comBlogger45125tag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-74088150530713899112019-04-05T22:35:00.000+05:302019-04-05T22:35:05.149+05:30Personality development, Kundalini Yog a presentation by Devendranath Maharaj to the world.
Source : Shahane KakaAbhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-74721696965295508512013-04-05T11:34:00.001+05:302013-04-05T11:34:11.574+05:30सदगुरु की अमृत वाणी "भगवान को पाने के लिये मन में केवल भगवान को बिठाइये। संसार मै रहिये, किन्तु संसार को मन में मत बसा लीजिये।
परमात्मा का नूर चारों ओर बरस रहा है, फूलों में , नदियों में , तितलियों के रंगबिरंगे पंखों में । समस्त सृष्टि उसकी सुन्दर रचना है।
इसे पर्यटक बन कर भोगो।"
"Only god should be in our minds if we want to acquire him. One can live in the world but the world should not be in the mind all the Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-44766318176133491792013-03-08T19:44:00.004+05:302013-03-08T19:44:47.301+05:30यदि सदगुरु मिल जायेयदि सदगुरु मिल जाये तो जानो सब मिल गए फिर कुछ मिलना शेष नहीं रहा ! यदि सदगुरु नहीं मिले तो समझों कोई नहीं मिला क्योंकि माता पिता पुत्र और भाई तो घर घर में होते है ! ये सांसारिक नाते सभी को सुलभ है परन्तु सदगुरु की प्राप्ति दुर्लभ है !-- कबीरAbhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-12466187951754837092013-03-08T18:01:00.000+05:302013-03-08T18:01:30.532+05:30गंधाळ (पंचमुखी हनुमान सेवा ) मंत्रालयम , आंध्र प्रदेश सोमवार २५ फेब.२०१३ सद्गुरु श्री देवेंद्रनाथ महाराजांचा आदेश
अल्लख !! बहोत प्रसन्न हुं।स्वामीजी और माताजी बहोत प्रसन्न है । स्वामीजीने कहा देवेंद्र तेरे बेटे बहोत अच्छी तरह से साधना कर रहे है ।यही सात जनम का पाप नष्ट करने का मार्ग है ।यहा आप बैठे है और सिध्द धुनी लगाई है । यह एक सिद्ध पीठ है । जनम जनम का पाप नष्ट करणे कि और कोटी यज्ञ का पुण्य प्राप्त करने कि ताकत इस सिद्ध पीठ में है ।
सिद्धो के सिद्ध पीठ पर जभी होम हवन होता है तभी कोटी यज्ञ का फल Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-17350876243688743552013-03-07T19:45:00.002+05:302013-03-07T19:47:34.754+05:30गुरुकृपेने कोणती फलप्राप्ति होते ?
Sadguru Shri Devendranath Maharaj Ki Jay !
गुरुकृपा ही विषासारखी आहे. विष माणसाला आपणासारखे करून टाकते. कृपेने गुरु हे शिष्याला आपणासारखे करून टाकतात.
गुरुकृपेशिवाय आत्मसाक्षात्कार होत नाही. गुरुपदी मन जडले की गुरुकृपा होऊन आत्मसाक्षात्कार होतो.
Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-14439929457998661372013-03-07T19:41:00.001+05:302013-03-07T19:41:45.757+05:30गुरु कुणाला म्हणतात ? गुरूंचे स्वरूप काय ?
गु म्हणजे गुप्त आणि रु म्हणजे रूप. आत्म्याचे गुप्त रूप साधकाला दाखवणारा, साधकाच्या अनुभवास आत्मरूप आणून देणारा(१) तो गुरु. आत्म्याचे गुप्त अंग जो दाखवितो तो गुरु.
गुरुपद म्हणजे तत्पद. तत्पद म्हणजे स्थूल, सूक्ष्म, कारण व महाकारण या चार देहांच्या पलीकडे असणारे आत्मतत्त्व. तत्पद म्हणजे सत्पद. सत्पद म्हणजेच चित्पद. म्हणून गुरु हे चैतन्यरूप आहेत व त्यांचे पदही चैतन्यरूप आहे. चैतन्य हेच गुरूचे Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-50860482117211887542013-02-15T17:20:00.000+05:302013-05-29T09:36:06.502+05:30Information of Mathi In Maharashtra
श्री राघवेन्द्र स्वामी मंदिर
बोल्हेगाव, नगर-मनमाड रोड,
अहमदनगर - ४१४०११
दूरध्वनी : ९५-२४१-२७७७७७५
श्री देवेंद्रनाथ मठी
देवेन्द्र को-ऑप-हाऊसिंग सोसायटी
मनिषा नगर, नेने क्लास जवळ,
कळवा,
ठाणे (प.) - ४००६०५
Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-54493027363904603852013-02-15T16:59:00.001+05:302013-02-15T17:01:26.220+05:30सदगुरु की पूजा किये सबकी पूजा होय
कितने ही कर्म करो, कितनी ही उपासनाएँ करो, कितने ही व्रत और अनुष्ठान करो, कितना ही धन इकट्ठा कर लो और् कितना ही दुनिया का राज्य भोग लो लेकिन जब तक सदगुरु के दिल का राज्य तुम्हारे दिल तक नहीं पहुँचता, सदगुरुओं के दिल के खजाने तुम्हारे दिल तक नही उँडेले जाते, जब तक तुम्हारा दिल सदगुरुओं के दिल को झेलने के काबिल नहीं बनता, तब तक सब कर्म, उपासनाएँ, पूजाएँ अधुरी रह जाती हैं। देवी-देवताओं की पूजा के Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-48579519839913652032012-08-07T18:36:00.000+05:302012-08-07T18:38:01.137+05:30Sri Raghavendra Swami Stotra With Mantralaya Pictures
Poojyaya Raghavendraya
Satyadarma Ratayacha
Bhajatham Kalpavrukshaya
Namatham Kaamadenave
Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-81540191228898906152012-08-07T18:23:00.002+05:302012-08-07T18:27:32.803+05:30श्री राघवेन्द्र स्तोत्रम्
श्रीपूर्णबोध-गुरु-तीर्थ-पयोऽब्धि-पाराकामारि-माऽक्ष-विषमाक्ष-शिरः स्पृशन्ती ।पूर्वोत्तरामित-तरङ्ग-चरत्-सु-हंसादेवालि-सेवित-पराङ्घ्रि-पयोज-लग्ना ॥ १ ॥जीवेश-भेद-गुण-पूर्ति-जगत्-सु-सत्त्व-नीचोच्च-भाव-मुख-नक्र-गणैः समेता ।दुर्वाद्यजा-पति-गिलैर्गुरु-राघवेन्द्र-वाग्-देवता-सरिदमुं विमलीकरोतु ॥ २ ॥श्री-राघवेन्द्रः सकल-प्रदातास्व-पाद-कञ्ज-द्वय-भक्तिमद्भ्यः ।अघाद्रि-सम्भेदन-दृष्टि-वज्रःक्षमाAbhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-63960788202887650962012-08-07T17:16:00.001+05:302012-08-07T17:18:35.021+05:30गुरु और ईश्वर का बहुत गहरा सम्बन्ध हैवेदों में गुरु को ईश्वर से अधिक पुजनिये माना है,गुरु की महिमा अपार है वो सदेव अपने शिष्य के लिए चिंतित रहता है,उसे सर्व गुण सम्पन बनने का पर्यातन करता है, ईश्वर की प्राप्ति भी गुरु द्वारा सम्भव हो सकती है,हमारे महान कवि कबीर जी ने भी अपने दोहे द्वारा यह इस्पषत किया हैगुरु गोबिंद दोउ खड़े, काके के लागु पायेबलिहारे गुरु आपनो, गोविन्द दियो मिलायेइसलिए गुरु को अधिक पुजनिये समझा गया है जो हमे दिशा हिन्Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-47707809722808639672012-08-07T16:49:00.000+05:302012-08-07T17:00:38.573+05:30।। एक तुम्हीं आधार सदगुरु ।।एक तुम्हीं आधार सदगुरु, एक तुम्हीं आधार सदगुरु । जब तक मिलो न तुम जीवन में । शांति कहां मिल सकती मन में ।।खोज फिरा संसार सदगुरु । एक तुम्हीं आधार सदगुरु ।।कैसा भी हो तैरन हारा । मिले न जब तक शरण सहारा ।।हो न सका उस पार सदगुरु । एक तुम्हीं आधार सदगुरु ।।हे प्रभु तुमहिं विविध रुपों में । हमें बचाते भव कूपों से ।।ऐसे परम उदार सदगुरु । एक तुम्हीं आधार सदगुरु ।।हम आए है द्घार तुम्हारे । अब उद्घार करो Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-49172671008118306022012-08-07T16:47:00.000+05:302012-08-07T16:48:14.566+05:30सदगुरु की शरण"सबसे पहले व्यक्ति को सभी इच्छाओं से मुक्त होना चाहिए और फिर अनन्य भाव से सदगुरु की शरण में जाकर पूर्ण समर्पण करना चाहिए I जो ऐसी द्र्णश्रद्धा सपन्न है, केवल वही आत्मविज्ञानं को प्राप्त करने का पात्र है"Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-5049957636324258292012-08-03T19:36:00.001+05:302012-08-03T19:39:03.864+05:30गुरु ज्ञान का रूप है ,गुरु छाँव है धूपगुरु तत्व चहु खींच रहा ,हो जाओ अब लीनज्यो ज्यो उसमे लीन हुआ ,हुआ कुशल प्रवीण–गुरु चरणों की आस रही ,प्यासे रहते नैनदर्शन दो गुरुदेव हमें ,तव दर्शन से चैन-आज्ञा प्रज्ञा चक्र है ,भेद सके तो भेदगुरु बिन ज्ञान नहीं मिला ,पढ़ ले चाहे वेद-गुरु ज्ञान का रूप है ,गुरु छाँव है धूपधूप तेज और ओज दे ,छाया मात स्वरूप-गुरु आशीष से ईश मिले ,गुरु हाथो तपिशजप तप करते नहीं मिले ,सद्गुरु है जगदीश-गुरु बिन मन व्याकुल Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-54835692707257770292012-08-03T19:24:00.001+05:302012-08-03T19:26:34.186+05:30गुरु …….जिसके बल पर हम सफ़ल हुए, वो सब ज्ञान गुरु का है.है ईश्वर से भी बढ़्कर जो, वो सम्मान गुरु का है.सच का साथ नही देता और झूठ की राह जो चलता है,मेरा शिष्य नही होगा , ये अभिमान गुरु का है.जीवन मे सफ़लता पा करके, जब शिष्य उन्हे न याद करे,फ़िर भी उसे अच्छा ही कहे, वो ईमान गुरु का है.Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-53923951323360620082012-08-01T19:28:00.000+05:302012-08-03T19:29:54.508+05:30Shri Raghvendra Swami Aaradhana UtsavShri Raghvendra Swami Aaradhana Utsav - Friday, 3rd August to Sunday, 5th August 2012. At Shri Raghvendra Swami Mandir, Bolhegaon, Ahamednagar. For more details pls contact Shri Navnath Devasthan Seva Mandal Trust. Bolhegaon, Ahmednagar, Tell no : 0241 2777775.Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-61346391821225647712012-07-26T18:49:00.003+05:302012-07-26T18:51:29.037+05:30गुरु वंदनाजय सदगुरु देवन देववरंनिज भक्तन रक्षण देहधरम्।परदुःखहरं सुखशांतिकरंनिरुपाधि निरामय दिव्य परम्।।1।।जय काल अबाधित शांति मयंजनपोषक शोषक तापत्रयम्।भयभंजन देत परम अभयंमनरंजन भाविक भावप्रियम्।।2।।ममतादिक दोष नशावत हैं।शम आदिक भाव सिखावत हैं।जग जीवन पाप निवारत हैं।भवसागर पार उतारत हैं।।3।।कहुँ धर्म बतावत ध्यान कहीं।कहुँ भक्ति सिखावत ज्ञान कहीं।उपदेशत नेम अरु प्रेम तुम्हीं।करते प्रभु योग अरु क्षेम तुम्हींAbhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-65477092209568177122012-07-26T18:43:00.003+05:302012-07-26T18:48:19.728+05:30प्रार्थनाॐ सदगुरु देवेंद्रनाथाय नमः गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।गुरुर्साक्षात्परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः।।ध्यानमूलं गुरोर्मूतिः पूजामूलम गुरो पदम्।मंत्रमूलं गुरोर्वाक्यं मोक्षमूलं गुरोः कृपा।।अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्रीगुरवे नमः।।त्वमेव माता च पिता त्वमेव त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव।त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव त्वमेव सर्वं मम देव देव।।Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-33463334346570293212012-07-25T18:55:00.002+05:302012-07-25T18:55:27.964+05:30गुरु स्मरण का महत्व
गुरु की अलोक-रश्मि सबमे है ! उनका स्मरण करने से व्यक्ति उनके प्रभा-मंडल
से जुड़ता है! उनका स्मरण करते ही वह स्वयं उनकी भाव-तरंग से जुड़ जाता है!
गुरु का भाव भक्त को आवेशित करता है और उस समय मन को सांसारिक संकल्प, जो
की चित्त
को अस्थिर करते है, उनको नष्ट करता है, क्योंकि गुरु का प्रभा मण्डल
बहुत शक्तिशाली होता है!
Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-91042462386837708422012-07-25T18:51:00.000+05:302012-07-25T18:51:05.803+05:30गुरु का महत्व
1 . गुरु ब्रह्मा गुरुर बिष्णु / गुरु देवो महेश्वरः / गुरु साक्षात परा ब्रह्मा / तस्मै श्री गुरवे नमः/(गुरु ब्रह्मा, विष्णु और शिव के वास्तविक प्रतिनिधि है/ वह श्रृष्टि करता है., अज्ञानता और मूढ़ के नाश कर ज्ञान फैलाता है/ मै ऐसे &Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-40884686354521675692012-07-25T18:01:00.000+05:302012-07-25T18:01:54.300+05:30"गुरु महिमा"
"गुरूर्ब्रह्मा गुरूर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वरः।गुरू साक्षात् परंब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमः॥"
गुरू वंदना के लिए बहुत ही प्रसिद्ध यह स्तुति शिष्य के लिए बड़ा प्यारा है
-:गुरु स्तुति:-
"अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम् ।तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरूवे नमः॥
अज्ञान तिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जन शलाकया।चक्षुरून्मीलितं येन Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-39335959634805347832012-07-25T17:37:00.000+05:302012-07-25T17:37:07.113+05:30गुरु की खोज
गुरु की खोज जितनी सरल और सहज हम समझते है। शायद उतनी आसान नहीं है। गुरु की खोज एक प्रतीक्षा है। और गुरु तुम्हें दिखाया नहीं जा सकता। कोई नहीं कह सकता,’’यहां जाओ और तुम्हें तुम्हारा सद्गुरू मिल जायेगा। तुम्हें खोजना होगा, तुम्हें कष्ट झेलना होगा, क्योंकि कष्ट झेलने और खोजने के द्वारा ही तुम उसे देखने के योग्य हो जाओगे। तुम्हारी आंखे स्वच्छ हो जायेगी। आंसू गायब हो जायेगे। तुम्हारी Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-37929155864987567082012-07-24T19:04:00.001+05:302012-07-25T17:37:22.716+05:30अपने आप को गुरु को समर्पित कर दो
आनंद चहिये तो अपने अहंकार को मार दो |जब तक आप की मै है तब तक प्रभु की प्राप्ति नहीं हो सकती ....गुरु के आगे मरर जाओ नहीं तो काल आ के सब कुछ छुड़ा के ले जायेगा | नकारत्मक होगे तो गुरु से दूर हो जाओगे गुरु मेरी जिन्दगी मै मेरे को मुक्ति देने के लिए आता है | सब काम प्रभु करते है तो फिर हम में में क्यूँ करते है | गुरु के साथ बेठ कर सुख मिलता है संसार वालो के साथ बेठ कर दुखी होते हो | गुरु के प्रेमAbhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-43900102743416345332012-07-24T17:24:00.003+05:302012-07-25T17:37:33.813+05:30सद्गुरू का प्यार
किसी को अपनी दौलत पर नाज़ होता है ,किसी को अपनी शौहरत पर नाज़ होता है,मगर जिसे मिलता है सद्गुरू का प्यार,उसे अपनी किस्मत पर नाज़ होता है ||Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4402818096786385415.post-34031703026832890552012-07-24T17:22:00.000+05:302012-07-25T17:37:45.412+05:30अमल करने से जीवन बदल जाता है
बीज को हाथ मे रखोगे तो बीज सड़ जायेगा और अगर बीज को मिटी में मिला दोगे तो उस बीज में से जो पेड़ निकेलगा उसको करोड़ो बीज लग जायेंगे ऐसे ही गुरु अपने जीवन की आहुति देता है और करोड़ो का जीवन बनाता है गुरु कई वचन किसी को सुनाने आसन है पर अमल करना बहुत मुश्किल है .......अमल करने से जीवन बदल जाता है ...........Abhijithttp://www.blogger.com/profile/10562903217493113536noreply@blogger.com